हम इस पाठ मे निम्न बिदुओं के बारे मे पढेंगे-
*तारे
*तारामंडल
तारे (stars)
● तारे (stars) ब्रह्मांण्ड मे उपस्थित ऐसे खगोलीय पिण्ड (Celestial body) है, जो अत्यंत गर्म है।
● इनका अपना प्रकाश (light) होता है।
● प्रत्येक तारे मे गर्म गैसो की एक बडी मात्रा होती है।
● इनमें नाभिकीय संलयन (Nuclear fusion) की प्रक्रिया से हाइड्रोजन लगातार हीलियम मे परिवर्तित होती रहती है।
● ध्रुव तारे के अलावा सभी तारे पूर्व से पश्चिम (East to west) की ओर घूमते प्रतीत होते है।
● तारो की यह आभाषी गति (Virtual speed) पृथ्वी की अपने अक्ष (Axis) पर गति के कारण प्रतीत होती है।
● धुव्र तारा सदैव एक ही स्थान पर दिखाई देता है क्योंकि यह पृथ्वी के घूर्णन अक्ष (Rotating axis) के ठीक ऊपर होता है।
● तारो का रंग उसकी सतह के तापमान (Temperature) से निर्धारित होता है। कम तापमान वाले तारे लाल रंग के दिखते है, अधिक तापमान वाले तारे सफेद और बहुत अधिक तापमान वाले तारे नीले रंग के दिखाई देते है।
● पृथ्वी 24 घंटो मे एक परिक्रमा (Circus) पूरी कर लेती है। और तारे भी इस लिए एक तारा 4 मिनट मे करीब 1° कोणीय दूरी (Angular distance) तय करता है। चूंकि तारे हर दिन 4 मिनट पहले उगते हैं। इसलिए वे पिछले दिन की तुलना में 1° ऊँचे दिखाई देते हैं।
इस तरह वे एक महीने में 30° तक ऊपर उठ जाते हैं।औंर 6 महीनों मे वे 180° तक आगे बढ़ जाएंगे। और पश्चिमी क्षितिज (Western horizon) के करीब होंगे। इसलिए तारामंडल /नक्षत्र (Constellation) भी पश्चिम की ओर बढता हैं।
● ज्यादातर तारे संलयन प्रक्रिया (Fusion process) द्वारा अपनी उर्जा का उत्पादन करते हैं।
● जब एक तारा अपने क्रेन्द्र (Center) मे उपस्थित संपूर्ण H2 का उपयोग कर लेता है। तब वह कार्बन मे हिलियम को मिलाना / संलयन करना शुरू कर देता है तारे के भीतर ऊर्जा के उत्पादन के बंद होते ही यह सिकुड़ जाता है इसका घनत्व (Density) बहुत अधिक हो जाता है। और यह श्वेत वामन तारा (White wax star) बन जाता है ।
● श्वेत वामन तारे का आकार एक ग्रह (Planet) के बराबर होता है ऐसे तारों का द्रव्यमान (Mass) हमेशा सूर्य के द्रव्यमान के करीब 1.44 गुने से कम होता है। इस सीमा को एक भारतीय वैज्ञानिक भारतीय वैज्ञानिक एस.चंद्रशेखर ने सिद्ध किया था। इसलिए इस सीमा को चंद्रशेखर सीमा कहा जाता है।
● एक श्वेत वामन तारा मृत तारा (Dead star) होता है। क्योंकि संलयन की प्रक्रिया द्वारा यह स्वयं की ऊर्जा का उत्पादन नहीं करता है। यह अपने जीवन काल के दौरान खुद मैं संचित ताप के विकिरण से चमकता है।
● बड़े श्वेत वामन तारे सुपरनोवा (Supernova) की तरह विस्फोट करते हैं और अपने आकार के अनुसार न्यूट्रॉन स्टार (neutron star) या ब्लैक होल (Black hole) (जिसमें गुरुत्वाकर्षण(Gravity) की शक्ति इतनी अधिक होती है, की प्रकाश भी उससे बाहर नहीं आ सकता) बन जाता है।
● तारों का रंग उसके ताप का सूचक है।
● पृथ्वी के आकाशगंगा (Galaxy) के सबसे शीतल और चमकीले तारों के समूह को ओरियन नेबुला (Orion Nebula) कहा जाता है।
●ब्रह्मांड का सबसे बड़ा तारा स्पाइनल ओरेगी (Spinal oregy) है।
● आकाश में सबसे चमकीला तारा साइरस (Cyrus) है।
● प्रकाश के अपवर्तन (Refraction of light) के कारण तारे टिमटिमाते (Twinkle) हुए प्रतीत होते हैं।
● पृथ्वी के सर्वाधिक समीप सूर्य तारा है।
● अभिनव तारा ब्रह्मांड में विस्फोटी तारा (Explosive star) कहलाता है।
● पुच्छल तारे की पूंछ सदैव सूर्य से दूर विपरीत दिशा (opposite direction) की तरफ होती है।
● शुक्र को सुबह का तारा तथा संध्या का तारा कहा जाता है।
● हेली पुच्छल तारा (Helly tail) 76 साल बाद नजर आता है। हेली पुच्छल तारे को 2062 मैं देखे जाने की संभावना है। यह अंतिम बार 1986 ईस्वी में दिखाई दिया था।
● संध्या तारे (Evening stars) का उदय पूर्व दिशा (East direction) को निरूपित करता है।
● कृष्ण विवर (black hole) एस. चंद्रशेखर ने प्रतिपादित किया था। यह तारों के कारण घटित आकाशीय परिघटना है यह वह सीमा है जिसके बाहर तारे आंतरिक मृत्यु से ग्रसित होते हैं।
● यदि एक प्रेक्षक तारों (Observer stars) को क्षितिज (Horizon) से लंबवत उढते देखता है, तो वह विषुवत रेखा (Equator) पर अवस्थित होता है।
● हेल बाँप (Hell Bop) पुच्छल तारे (Caudal stars) का नाम है।
तारामंडल (Constellation)
● वे तारे जो एक समूह मे होते है तथा कोई पहचाने जा सकने वाली आकृति बनाते है, तारामंडल कहलाते है।
● आकाश मैं कुल 89 तारामंडल है। सबसे बडा तारामंडल सेट्रस (Citrus) है जिसमें 94 तारे है दूसरा बडा तारामंडल हाइड्रा (Hydra) है जिसमें 68 तारे हैं।
● गर्मी में दिखाई देने वाला तारामंडल वृश्चिक या स्कॉर्पिया (Scorpio) है जो बिच्छू जैसा है। यह फरवरी अगस्त तक दक्षिण दिशा (South direction) में दिखाई देता है।
● कुछ प्रमुख तारामंडल निम्नलिखित है-
सप्तर्षि, मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंंभ, मृग, वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन। (Dipper, Aries, Gemini, Leo, Libra, Sagittarius, Aquarius, Deer, Taurus, Cancer, Virgo, Scorpio, Capricorn, Pisces)
● सप्तऋषि तारामंडल के तारे ध्रुव तारे की और संकेत करते हैं।
*तारे
*तारामंडल
तारे (stars)
● तारे (stars) ब्रह्मांण्ड मे उपस्थित ऐसे खगोलीय पिण्ड (Celestial body) है, जो अत्यंत गर्म है।
● इनका अपना प्रकाश (light) होता है।
● प्रत्येक तारे मे गर्म गैसो की एक बडी मात्रा होती है।
● इनमें नाभिकीय संलयन (Nuclear fusion) की प्रक्रिया से हाइड्रोजन लगातार हीलियम मे परिवर्तित होती रहती है।
● ध्रुव तारे के अलावा सभी तारे पूर्व से पश्चिम (East to west) की ओर घूमते प्रतीत होते है।
● तारो की यह आभाषी गति (Virtual speed) पृथ्वी की अपने अक्ष (Axis) पर गति के कारण प्रतीत होती है।
● धुव्र तारा सदैव एक ही स्थान पर दिखाई देता है क्योंकि यह पृथ्वी के घूर्णन अक्ष (Rotating axis) के ठीक ऊपर होता है।
● तारो का रंग उसकी सतह के तापमान (Temperature) से निर्धारित होता है। कम तापमान वाले तारे लाल रंग के दिखते है, अधिक तापमान वाले तारे सफेद और बहुत अधिक तापमान वाले तारे नीले रंग के दिखाई देते है।
● पृथ्वी 24 घंटो मे एक परिक्रमा (Circus) पूरी कर लेती है। और तारे भी इस लिए एक तारा 4 मिनट मे करीब 1° कोणीय दूरी (Angular distance) तय करता है। चूंकि तारे हर दिन 4 मिनट पहले उगते हैं। इसलिए वे पिछले दिन की तुलना में 1° ऊँचे दिखाई देते हैं।
इस तरह वे एक महीने में 30° तक ऊपर उठ जाते हैं।औंर 6 महीनों मे वे 180° तक आगे बढ़ जाएंगे। और पश्चिमी क्षितिज (Western horizon) के करीब होंगे। इसलिए तारामंडल /नक्षत्र (Constellation) भी पश्चिम की ओर बढता हैं।
● ज्यादातर तारे संलयन प्रक्रिया (Fusion process) द्वारा अपनी उर्जा का उत्पादन करते हैं।
● जब एक तारा अपने क्रेन्द्र (Center) मे उपस्थित संपूर्ण H2 का उपयोग कर लेता है। तब वह कार्बन मे हिलियम को मिलाना / संलयन करना शुरू कर देता है तारे के भीतर ऊर्जा के उत्पादन के बंद होते ही यह सिकुड़ जाता है इसका घनत्व (Density) बहुत अधिक हो जाता है। और यह श्वेत वामन तारा (White wax star) बन जाता है ।
● श्वेत वामन तारे का आकार एक ग्रह (Planet) के बराबर होता है ऐसे तारों का द्रव्यमान (Mass) हमेशा सूर्य के द्रव्यमान के करीब 1.44 गुने से कम होता है। इस सीमा को एक भारतीय वैज्ञानिक भारतीय वैज्ञानिक एस.चंद्रशेखर ने सिद्ध किया था। इसलिए इस सीमा को चंद्रशेखर सीमा कहा जाता है।
● एक श्वेत वामन तारा मृत तारा (Dead star) होता है। क्योंकि संलयन की प्रक्रिया द्वारा यह स्वयं की ऊर्जा का उत्पादन नहीं करता है। यह अपने जीवन काल के दौरान खुद मैं संचित ताप के विकिरण से चमकता है।
● बड़े श्वेत वामन तारे सुपरनोवा (Supernova) की तरह विस्फोट करते हैं और अपने आकार के अनुसार न्यूट्रॉन स्टार (neutron star) या ब्लैक होल (Black hole) (जिसमें गुरुत्वाकर्षण(Gravity) की शक्ति इतनी अधिक होती है, की प्रकाश भी उससे बाहर नहीं आ सकता) बन जाता है।
● तारों का रंग उसके ताप का सूचक है।
● पृथ्वी के आकाशगंगा (Galaxy) के सबसे शीतल और चमकीले तारों के समूह को ओरियन नेबुला (Orion Nebula) कहा जाता है।
●ब्रह्मांड का सबसे बड़ा तारा स्पाइनल ओरेगी (Spinal oregy) है।
● आकाश में सबसे चमकीला तारा साइरस (Cyrus) है।
● प्रकाश के अपवर्तन (Refraction of light) के कारण तारे टिमटिमाते (Twinkle) हुए प्रतीत होते हैं।
● पृथ्वी के सर्वाधिक समीप सूर्य तारा है।
● अभिनव तारा ब्रह्मांड में विस्फोटी तारा (Explosive star) कहलाता है।
● पुच्छल तारे की पूंछ सदैव सूर्य से दूर विपरीत दिशा (opposite direction) की तरफ होती है।
● शुक्र को सुबह का तारा तथा संध्या का तारा कहा जाता है।
● हेली पुच्छल तारा (Helly tail) 76 साल बाद नजर आता है। हेली पुच्छल तारे को 2062 मैं देखे जाने की संभावना है। यह अंतिम बार 1986 ईस्वी में दिखाई दिया था।
● संध्या तारे (Evening stars) का उदय पूर्व दिशा (East direction) को निरूपित करता है।
● कृष्ण विवर (black hole) एस. चंद्रशेखर ने प्रतिपादित किया था। यह तारों के कारण घटित आकाशीय परिघटना है यह वह सीमा है जिसके बाहर तारे आंतरिक मृत्यु से ग्रसित होते हैं।
● यदि एक प्रेक्षक तारों (Observer stars) को क्षितिज (Horizon) से लंबवत उढते देखता है, तो वह विषुवत रेखा (Equator) पर अवस्थित होता है।
● हेल बाँप (Hell Bop) पुच्छल तारे (Caudal stars) का नाम है।
तारामंडल (Constellation)
● वे तारे जो एक समूह मे होते है तथा कोई पहचाने जा सकने वाली आकृति बनाते है, तारामंडल कहलाते है।
● आकाश मैं कुल 89 तारामंडल है। सबसे बडा तारामंडल सेट्रस (Citrus) है जिसमें 94 तारे है दूसरा बडा तारामंडल हाइड्रा (Hydra) है जिसमें 68 तारे हैं।
● गर्मी में दिखाई देने वाला तारामंडल वृश्चिक या स्कॉर्पिया (Scorpio) है जो बिच्छू जैसा है। यह फरवरी अगस्त तक दक्षिण दिशा (South direction) में दिखाई देता है।
● कुछ प्रमुख तारामंडल निम्नलिखित है-
सप्तर्षि, मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंंभ, मृग, वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन। (Dipper, Aries, Gemini, Leo, Libra, Sagittarius, Aquarius, Deer, Taurus, Cancer, Virgo, Scorpio, Capricorn, Pisces)
● सप्तऋषि तारामंडल के तारे ध्रुव तारे की और संकेत करते हैं।